यात्रा वृत्तांत

यात्रा वृत्तांत को ‘यात्रावृत्त’ या ‘यात्रा-संस्मरण’ के नाम से भी जाना जाता है। हिंदी साहित्य ज्ञानकोश-6 में यात्रा वृत्तांत के सम्बंध में लिखा गया है-“यात्रा वृत्तांत (Travelogue) किसी व्यक्ति विशेष के जीवन में घटित यात्रा सम्बंधी किसी घटना का साहित्यिक चित्रण होता है। इसमें स्थानीयता और तथ्यात्मकता होती है। यहाँ कल्पना की गुंजाइश नहीं होती। इसमें बीते हुए यथार्थ का वर्णन होता है।”
यात्रा वृत्तांत में उस स्थान का प्राकृतिक सौंदर्य, रीति-रिवाज, रहन-सहन, आचार-विचार आदि का चित्रण होता है। ह्वेनसांग और फाहियान के इतिहास यात्रा वृत्तांत ही हैं।
राहुल सांकृत्यायन यात्रा वृत्तांत की महत्ता बताते हुए लिखते हैं-“मेरी समझ में दुनिया की सर्वश्रेष्ठ वस्तु है घुमक्कड़ी। घुमक्कड़ से बढ़कर व्यक्ति और समाज के लिए कोई हितकारी नहीं हो सकता।”
हिंदी साहित्य में यात्रा वृत्तांत लिखने की परंपरा की शुरूआत भारतेंदु युग से मानी जाती है। भारतेंदु हरिश्चंद्र ने ‘लखनऊ की यात्रा’, ‘सरयूपार की यात्रा’, हरिद्वार की यात्रा’ नामक आदि यात्रा वृत्तांत लिखे। पं. दामोदर शास्त्री कृत ‘मेरी पूर्व दिग्यात्रा’, देवी प्रसाद खत्री कृत ‘रामेश्वर यात्रा’, शिवप्रसाद गुप्त कृत ‘पृथिवी प्रदक्षिणा’, स्वामी सत्यदेव परिव्राजक कृत ‘मेरी कैलाश यात्रा’, पं. कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर कृत ‘हमारी जापान यात्रा’ उल्लेखनीय यात्रा वृत्तांत हैं।
राहुल सांकृत्यायन, रामवृक्ष बेनीपुरी, यशपाल, अज्ञेय, डॉ. भगवतशरण उपाध्याय, रामधारी सिंह दिनकर, नागार्जुन आदि साहित्यकार जन्मजात यात्रा प्रेमी रहे हैं। इन्होंने हिंदी साहित्य की अन्य विधाओं के साथ-साथ यात्रा वृत्तांत लिखकर हिंदी साहित्य की श्रीवृद्धि की है। राहुल सांकृत्यायन कृत ‘मेरी तिब्बत यात्रा’, ‘मेरी लद्दाख यात्रा’, ‘किन्नर देश में’ और ‘रूस में 25 मास’, रामवृक्ष बेनीपुरी कृत ‘पैरों में पंख बाँधकर’ और उड़ते चलो उड़ते चलो’, यशपाल कृत ‘लोहे की दीवारों के दोनों ओर’, अज्ञेय कृत ‘अरे यायावर याद रहेगा’ और ‘एक बूँद सहसा उछली’, डॉ. भगवतशरण उपाध्याय कृत ‘कलकत्ता से पेकिंग’ और ‘सागर की लहरों पर’, रामधारी सिंह दिनकर कृत ‘देश-विदेश’ तथा निर्मल वर्मा कृत ‘चीड़ों पर चाँदनी’ आदि रचनाओं ने यात्रा वृत्तांत विधा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
21वीं सदी में लिखित अमृतलाल बेगड़ कृत ‘अमृतस्य नर्मदा’, डॉ. कृष्णदत्त पालीवाल कृत ‘जापान में कुछ दिन’, डॉ. विश्वनाथप्रसाद तिवारी कृत ‘अंतहीन आकाश’, कमलेश्वर कृत ‘आँखों देखा पाकिस्तान’, नरेश मेहता कृत ‘कितना अकेला आकाश’ आदि उल्लेखनीय यात्रा वृत्तांत हैं।

आधार ग्रंथ-

  1. हिंदी साहित्य ज्ञानकोश, भाग-1।
  2. हिंदी आलोचना की पारिभाषिक शब्दावली, डॉ. अमरनाथ।
  3. हिंदी का गद्य साहित्य, डॉ. रामचंद्र तिवरी

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