डायरी

अंग्रेजी का ‘डायरी’ (Diary) शब्द हिंदी में इसी रूप ले लिया गया है। इसे रोजनामचा, दैनिकी तथा दैनंदिनी भी कहा जाता है। जब कोई व्यक्ति तिथिवार घटनाओं को लिपिबद्ध करता है, जिस क्रम में ये घटनाएं उसके जीवन में घटित हुई हैं तो उसे ‘डायरी’ कहा जाता है। डायरी में दैनिक व्यापारों या घटनाओं का ब्यौरा होता है। इसमें लोग अपने दैनिक अनुभवों का विवरण रखते हैं।
यही डायरी जब किसी साहित्यकार की कलम से कलात्मक शैली में लिपिबद्ध होकर प्रकाशित होती है तो वह साहित्य की एक सशक्त विधा बन जाती है।स्पष्टकथन, आत्मीयता और निकटता आदि डायरी की विशेषताएं हैं।
डायरी आत्मकथा का ही एक रूप है। डायरी में सामान्यतः ताजे अनुभवों को लिखा जाता है जबकि आत्मकथा में अतीत के अनुभवों को लिखा जाता है। विधा के रूप में ‘डायरी’ आत्मकथा के निकट की एक साहित्यिक विधा है। डायरी को कुछ क्षणों की लेखक की आत्मकथा माना जा सकता है। आत्मकथा में समग्र जीवन का विवरण होता है जबकि डायरी में किसी विशेष दिन की अनुभूति का।
घनश्यामदास बिड़ला की डायरी ‘डायरी के पन्ने’, डॉ. धीरेंद्र वर्मा की ‘मेरी कालिज डायरी’, सियारामशरण गुप्त की ‘दैनिकी’, मोहन राकेश की ‘मोहन राकेश की डायरी’, हरिवंशराय बच्चन की ‘प्रवास की डायरी’, रामधारी सिंह दिनकर की ‘दिनकर की डायरी’, मुक्तिबोध की ‘एक साहित्यिक की डायरी’ तथा मलयज की ‘मलयज की डायरी’ (डॉ. नामवर सिंह द्वारा संपादित) महत्वपूर्ण रचनाएं हैं।
आधार ग्रंथ-

  1. हिंदी साहित्य ज्ञानकोश, भाग-1।
  2. हिंदी आलोचना की पारिभाषिक शब्दावली, डॉ. अमरनाथ।
  3. हिंदी का गद्य साहित्य, डॉ. रामचंद्र तिवरी।

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