संज्ञा तथा अन्य विकारी शब्दों के जिस रूप से एक या अनेक होने का बोध होता है, उसे वचन कहते हैं।

हिन्दी में दो वचन होते हैं-

1.      एकवचन (जो संज्ञा पद एक का बोध कराएं)

2.      बहुवचन (जो संज्ञा पद एक से अधिक का बोध कराएं)

वचन सम्बंधी महत्वपूर्ण नियम

      गणनीय संज्ञा पदों के बहुवचन रूप होते हैं।

जैसे-लड़का-लड़के, वस्तु-वस्तुएं।

      अगणनीय संज्ञा पदों का बहुवचन रूप नहीं बनता; जैसे-दूध, चीनी, पानी।

      कुछ संज्ञा शब्द ऐसे होते हैं जो पूरे समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसलिए इनका प्रयोग एकवचन में ही होता है।

जैसे-जनता, वर्षा, वायु, पानी।

यह देखकर जनता चिल्ला उठी।

पुलिस चुप नहीं बैठेगी।

भीड़ आगे बढ़ती गई।

      कुछ शब्दों का प्रयोग सदैव बहुवचन में ही होता है।

जैसे-दर्शन, प्राण, आसूँ, हस्ताक्षर, लोग।

         मैंने दर्शन कर लिए।

         उसके प्राण निकल गए।

         सीता के आसूँ नहीं थमे।

         मोहन के हस्ताक्षर नहीं हुए।

         उसने हस्ताक्षर कर दिए।

      कभी-कभी बहुवचन बनाने के लिए ‘जन’, ‘गण’, ‘वर्ग’, ‘वृंद’, या ‘लोग’ आदि शब्द भी जोड़ दिए जाते हैं।

जैसे-गुरुजन, छात्रगण, कृषक वर्ग, शिशु-वृंद, डॉक्टर लोग।

आधार ग्रंथ-

  1. हिंदी व्याकरण-कामताप्रसाद गुरु
  2. हिंदी शब्द अर्थ प्रयोग-डॉ0 हरदेव बाहरी
  3. सामान्य हिंदी-डॉ0 पृथ्वीनाथ पाण्डेय

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