Category: कविता

25 June 2023

माँ

आज हम समझदार बन गएजिस माँ ने हमें चलना सिखायाउसे ही चलाने लग गएहम उसके त्याग, बलिदानऔर संघर्ष को भुलाकरस्वयं महान बन गएआज हम समझदार बन गएबचपन की वो बातें भूल गए हमजब वह अपने सपनों कोहम पर कुर्बान कर गयीआज हम समझदान बन गएउसकी कही बातें बेकार हो गयींअपनी कही बातें साकार हो गयींआज हम समझदान बन गएजरूरी नहीं कि हर बात अपनी ही […]

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13 June 2023

बोली

सोच समझकर बोलिए, बोली अपनी पहचान। सारा जग ज्ञानी है, कर देगा चरित्र निर्माण।।

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13 June 2023

जी हुजूरी

जून की भयंकर गर्मी में साहब ने कहा आज ठण्ड बहुत है पसीने से तर बतर बाबू ने कहा साहब! आज मैं स्वेटर पहनना भूल गया।

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13 June 2023

मरती भावनाएं

भावनाएं जिंदा हैं, तो उदास चेहरा भी पढ़ लिया जाता है। वर्ना आँसुओं को भी नाटक करार दे दिया जाता है।।

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