17 June 2023

मोबाइल के दुष्प्रभाव

By Sandeep Kumar Singh

एक विज्ञापन सुना था

बोलने से सब होगा
मैं बहुत प्रभावित हुआ
जब भी मौका मिलता गूगल में बोलने लगा
और इस तरह समय कटने लगा
नई-नई बातें पता चलने लगी
लेकिन घर में रार होने लगी
जानकारियां इफरात होने लगी
और जिंदगी कटने लगी
एक दिन मोबाइल गया टूट
गूगल से साथ गया छूट
अब समझ में आया
मोबाइल हम नहीं

मोबाइल हमें चला रहा था
बेकार का ज्ञान बाँट रहा था
अब हम आजाद हैं
बिन मोबाइल के आबाद हैं।
गूगल पढ़-पढ़ के भ्रम हुआ, पंडित भया न कोय।
ढाई पुस्तक घर की, पढ़े सो पंडित होय।।

Loading

Spread the love