रेखाचित्र और संस्मरण

‘रेखाचित्र’ अंग्रेजी शब्द ‘स्केच’ (Sketch) का पर्याय है। यह मूल रूप से चित्रकला से संबंधित है। रेखाचित्र ऐसी रचना को कहा जाता है जिसमें किसी चरित्र की रेखाएं हों। चित्रकला में रेखाओं के माध्यम से कोई आकृति मूर्त की जाती है जबकि साहित्यिक विधा रेखाचित्र में शब्दों के माध्यम से किसी चरित्र का वर्णन किया जाता है।
रेखाचित्र में कम से कम शब्दों में कलात्मक ढंग से किसी वस्तु, व्यक्ति या दृश्य का अंकन किया जाता है। इसमें साधन शब्द होते हैं। इसलिए इसे ‘शब्द चित्र’ भी कहते हैं। हिंदी आलोचना की पारिभाषिक शब्दावली के अनुसार-“रेखाचित्र किसी व्यक्ति, वस्तु, घटना या भाव का कम से कम शब्दों में मर्मस्पर्शी, भावपूर्ण एवं सजीव अंकन है। रेखाचित्र में वस्तुतः अनेक साहित्यिक विधाओं की तरंगें उठती रहती हैं।”
जयकिशन प्रसाद खंडेलवाल के अनुसार-“गद्य का वह रूप, जिसमें भाषा के द्वारा किसी व्यक्ति, वस्तु या घटना का चित्रण या मानसिक प्रत्यक्षीकरण किया जाता है, रेखाचित्र कहलाता है।”
संस्मरण सम् और स्मरण दो शब्दों से मिलकर बना है। सम का अर्थ है-अच्छी तरह, स्मरण का अर्थ है-याद किया हुआ। इस प्रकार संस्मरण का अर्थ है-अच्छी तरह याद किया हुआ।
हिंदी साहित्य ज्ञानकोश भाग-1 में संस्मरण को परिभाषित करते हुए कहा गया है-“संस्मरण (Memoirs) किसी व्यक्ति, वस्तु, घटना, दृश्य आदि का आत्मीय और गंभीरतापूर्वक स्मरण है। संस्मरण साहित्य का आधार मनुष्य की स्मृति है।”
संस्मरण और रेखाचित्र में भेद करना कठिन है। बनारसीदास चतुर्वेदी ने लिखा है-“संस्मरण, रेखाचित्र और आत्मचरित इन तीनों का एक दूसरे से इतना घनिष्ठ सम्बंध है कि एक की सीमा दूसरे से कहाँ मिलती है और कहाँ अलग हो जाती है, इसका निर्णय करना कठिन है।” संस्मरण और रेखाचित्रों में इतनी समानता होने के कारण प्रायः दोनों की चर्चा एक साथ की जाती है।
महादेवी वर्मा कृत ‘अतीत के चलचित्र’, ‘स्मृति की रेखाएं’, ‘मेरा परिवार’, रामवृक्ष बेनीपुरी कृत ‘गेहूँ और गुलाब’ महत्वपूर्ण रेखाचित्र हैं। बनारसीदास चतुर्वेदी, श्रीराम शर्मा, कन्हैया लाल मिश्र प्रभाकर तथा देवेंद्र सत्यार्थी ने भी रेखाचित्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ‘हंस’, ‘रूपाभ’, ‘विशाल भारत’ और ‘कल्पना’ आदि पत्रिकाओं ने रेखाचित्र के विकास में सराहनीय योगदान दिया।
पद्मसिंह शर्मा द्वारा लिखित ‘पद्मपराग’ से संस्मरण विधा का प्रारंभ माना जाता है। श्रीराम शर्मा कृत ‘बोलती प्रतिमा’ (1937 ई0), महादेवी वर्मा कृत ‘मेरा परिवार’ (1972 ई0), बनारसीदास चतुर्वेदी कृत ‘हमारे आराध्य’, ‘संस्मरण’, ‘रेखाचित्र’ (1952 ई0), रामवृक्ष बेनीपुरी ‘माटी की मूरतें'(1946 ई0), सेठ गोविन्ददास कृत ‘स्मृति कण'(1959 ई0), जगदीशचंद्र माथुर कृत ‘दस तश्वीरें’ आदि रचनाएं महत्वपूर्ण संस्मरण हैं।
आधार ग्रंथ-

  1. हिंदी साहित्य ज्ञानकोश, भाग-1।
  2. हिंदी आलोचना की पारिभाषिक शब्दावली, डॉ. अमरनाथ।
  3. हिंदी का गद्य साहित्य, डॉ. रामचंद्र तिवरी।

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