4 July 2023

इण्टरनेट (Internet )  :-

By Sandeep Kumar Singh

    इण्टरनेट शब्द अंग्रेजी के Inter तथा Net शब्दों से मिलकर बना है। Inter से अभिप्राय International तथा Net का अभिप्राय Network  है। अतः इण्टरनेट का तात्पर्य अन्तर्राष्ट्रीय या पारस्परिक तंत्र या संजाल से है। इण्टरनेट को सूचना प्रौद्योगिकी की जीवनरेखा माना जाता है। इण्टरनेट विश्व के विभिन्न स्थानों पर स्थापित टेलीफोन लाइन के सहयोग से एक-दूसरे के साथ जुड़े कम्प्यूटर्स का ऐसा नेटवर्क है जो सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए विश्वस्तरीय आंकड़ा-सूचना सेवा उपलब्घ कराता है। इसका ज्ञान भण्डारण विशाल है।  इसके माध्यम से उपभोक्ता अपनी मनचाही पुस्तक, इच्छित बाजार, सूचनाएं, मनमाफिक फिल्म, संगीत कुछ ही क्षणों में सुन सकते हैं। इस सेवा के अंतर्गत अनेक छोटे, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क सम्बद्ध हैं। विभिन्न उपकरणों से युक्त इण्टरनेट सभी विश्व समुदायों को विचार-विमर्श का एक मंच प्रदान कर सूचना का कारगर प्रसारक बन सकता है और विश्व-गांव की स्थापना में सहायक बन सकता है।

इण्टरनेट का इतिहास :-

    शीत युद्ध के दौरान सन् 1969 ई0 में इण्टरनेट का प्रारम्भ अमेरिका के प्रतिरक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन स्थित ‘एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी-एरपा’ (ARPA) की संकल्पना से हुआ था। उस समय अमेरिकी रक्षा वैज्ञानिक एक ऐसी कमाण्ड कंट्रोल संरचना विकसित करना चाहते थे जिस पर सोवियत संघ के परमाणु आक्रमण का प्रभाव न पड़े। इसके लिए उन्होंने विकेंद्रित सत्ता वाला नेटवर्क बनाया जिसमें सभी कम्प्यूटरों को बराबर का दर्जा दिया गया। अर्थात् इस नेटवर्क का उद्देश्य नाभिकीय युद्ध की स्थिति में अमेरिकी सूचना संसाधनों का संरक्षण करना था।

    इण्टरनेट कार्यपद्धति :-

इण्टरनेट या सूचना राजपथ ऑप्टिकल फॉइबर तारों से जुड़े कम्प्यूटर्स का एक व्यापक नेटवर्क है। इसमें सूचनाओं, ध्वनियों, चित्रों, आवाजों एवं आंकड़ों आदि को प्रकाश की गति से भेजना संभव है। इसकी कार्यपद्धति बहुत आसान है। इस प्रणाली में कम्प्यूटर्स के जाल को एक मुख्य कम्प्यूटर आपस में टेलीफोन लाइन के द्वारा जोड़ा जाता है। यहाँ जोड़ने का कार्य जब टेलीफोन लाइन के बजाय आम तारों के द्वारा किया जाता है तो यह पद्धति नेटवर्किंग कहलाती है। कम्प्यूटर तथा टेलीफोन आपस में मोडेम के माध्यम से जुड़े होते हैं। यह मोडेम कम्प्यूटर के डिजिटल सिग्नल को टेलीफोन के मैग्नेटिक सिग्नल तथा मैग्नेटिक को डिजिटल सिग्नल में बदलता है। सूचनाओं का यह खजाना मुक्त एवं स्वतन्त्र है। इस पर किसी भी केंद्रीभूत प्रशासन, संस्था या कंपनी का नियंत्रण नहीं है। इसी कारण इण्टरनेट को कम्पयूटरों का मुक्त संयोजन कहा जाता है। वर्तमान में यदि किसी व्यक्ति के पास एक कम्प्यूटर, एक मोडेम, टेलीफोन लाइन, आवश्यक सॉफ्टवेयर तथा इण्टरनेट नेटवर्क से संयोजन हो, तो वह विश्व सम्बन्धी समस्त घटनाओं की सूचना आसानी एवं अतिशीघ्र प्राप्त कर सकता है। प्रत्येक इण्टरनेट कम्प्यूटर :‘होस्ट’ कहलाता है।

    इण्टरनेट उपयोग के लिए दो संकेत महत्वपूर्ण हैं-www तथा http/www.। ये इण्टरनेट के केन्द्र बिन्दु हैं। इण्टरनेट की सभी वेबसाइट्स इसके अंग हैं। यह केन्द्र विश्व की इण्टरनेट प्रणाली को नियन्त्रित करता है। यह अमेरिका के वर्जीनिया में स्थित है। जब विश्व में कोई भी साइट खोली जाती है तो इसकी सूचना कूट भाषा के माध्यम से उस कार्यालय तक पहुँच जाती है। यह सूचना http  (हाइपर टेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकाल) कूट भाषा के माध्यम से दी जाती है। यह सूचना जब www कार्यालय में पहुँचती है, तभी साइट खुलती है।

भारत में इण्टरनेट :-

    देश में इण्टरनेट की शुरूआत सन् 1987-88 में कुछ संभ्रांत लोगों द्वारा प्रयोग किये जाने से ही हो गयी थी। विदेश संचार निगम लिमिटेड द्वारा इण्टरनेट सुविधा जनसामान्य को उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 15 अगस्त, 1995 में ‘गेटवे इण्टरनेट’ सेवा आरम्भ की गई।

    निजी क्षेत्र की कम्पनी सत्यम इनफो वे 21 नवम्बर, 1998 से इण्टरनेट सेवा शुरू करने वाली निजी क्षेत्र की पहली कम्पनी तथा देश की दूसरी कम्पनी बनी जिसने इण्टरनेट सेवा की शुरूआत की।

      सभी लोगों को इण्टरनेट सुविधा प्रदान करने के लिए मुम्बई में इण्टरनेट एक्सेस कोड की स्थापना की गई। यह सेटेलाइट के माध्यम से अमेरिका और यूरोप में इण्टरनेट से जुड़ गए। इसकी सहायता से विदेशी कार्यक्रम देखने, ई-मेल भेजने, समाचार पत्र पढ़ना आदि संभव हो सका।

    वर्तमान समय में भारत में इण्टरनेट सुविधा उपलब्ध कराने वाली तीन सरकारी एजेन्सियाँ हैं-

1.   दूरसंचार विभाग

2.   महानगर टेलीकॉम निगम लिमिटेड (MTNL)

3.   विदेश संचार निगम लिमिटेड (VSNL)

इण्टरनेट से सम्बन्धित तकनीकी शब्द :-

   बैंडविथ : यह तकनीकी शब्द किसी संचार माध्यम की सूचना वहन करने की क्षमता दर्शाता है। डिजिटल युक्तियों के सन्दर्भ में बैंडविथ का अर्थ है किसी निश्चित अवधि के दौरान संचारित की गई सूचना अथवा डाटा की मात्रा (बिट्स)। अर्थात् बैंडविथ जितनी अधिक होगी, उतनी ही अधिक सूचनाओं का आदान-प्रदान संभव होगा।

   ब्रॉडबैंड : सूचनाओं के संचारण की आधुनिक तकनीक, जिसमें अत्यधिक मात्रा में सूचनाओं का कम समय में सम्प्रेषित किया जा सकता है। इसका सबसे लोकप्रिय उदाहरण केबल टी.वी. है।

   मोडेम : मोडेम कम्प्यूटर को बाहरी सूचना एवं दूरसंचार उपकरण से जोड़ने का कार्य करता है। इसका मुख्य कार्य बाहरी एनलॉग सिग्नल को डिजिटल सिग्नल में बदलना व आंतरिक डिजिटल सिग्नल को एनलॉग में बदलना है। यह सिग्नल मोड्यूलेशन पद्धति पर आधारित है।

   ब्राउसर : सूचना के अथाह संसार ‘इण्टरनेट’ का उपयोग करने के लिए प्रयोग किया जाने वाला सॉफ्टवेयर ब्राउसर कहलाता है। प्रमुखतः प्रचलित ब्राउसर इण्टरनेट एक्सप्लोरर एवं नेटस्केप नेवीगेटर है।

   वर्ल्ड वाइड वेब (www) : यह सम्पूर्ण विश्व में फैला एक प्रकार का डाटाबेस है, जिससे कोई भी इण्टरनेट यूजर सूचनाएं प्राप्त कर सकता है। इसमें सूचनाओं को विषय के अनुसार शीर्षकों और उपशीर्षकों में विभाजित करके रखा गया है। वर्ल्ड वाइड वेब को ब्रिट टिम बर्नर्स-ली ने 1989 में विकसित किया तथा 1990 में पहला डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू सरवर तैयार किया।

   सरवर : यह एक कम्प्यूटर रनिंग सॉफ्टवेयर है जो कई कम्प्यूटरों के बीच संसाधनों को साझा करने में मदद करता है। सरवर कई प्रकार के होते हैं-

1.एचटीटीपी सरवर :इण्टरनेट को कनेक्ट करना

2.एफटीपी सरवर : एपटीपी प्रोटोकॉल का प्रयोग करते हुए नेटवर्क पर फाइल ट्रांसफर।

3.मेल सरवर : नेटवर्क पर ई-मेल स्टोर और ट्रांसफर।

4.प्रॉक्सी सरवर : क्लाइंट और मेन सरवर के बीच स्थापित सरवर, जो डाटा के फिल्टर करने औ कनेक्शन शेयरिंग में मदद करता है।

   सर्च इंजन : इण्टरनेट पर सूचनाओं का अथाह सागर है इन सूचनाओं को ढूंढने के लिए जिस माध्यम का उपयोग किया जाता है, वह सर्च इंजन कहलाता है। प्रमुख सर्च इंजन हैं-www.google.com, www.lycos.com।

   बैकबोन : एक बड़ी प्रसारण लाइन जो अपने साथ जुडी अनेक छोटी-छोटी प्रसारण लाइनों से सुचनाएं एकत्र कर आगे संचारित करती है।

   ऐसेस प्रोवाइडर : वे कम्पनियां जो इण्टरनेट कनेक्शन उपलब्ध कराती हैं, ऐसेस प्रोवाइडर कहलाता है; जैसे विदेश संचार निगम लिमिटेड, महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड, एयरटेल, जियो, भारत संचार निगम लिमिटेड।

   इंटीग्रेटेड सर्विसेज डिजिटल नेटवर्क (आई.एस.डी.एन.) :-इसके अंतर्गत डिजिटल सूचना को सामान्य टेलीफोन नेटवर्क पर 128 केबीपीएस की रफ्तार पर प्रेषित किया जा सकता है। इसमें डाटा, वीडियो और आवाज का एक साथ प्रसारण संभव है। भारत में महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड तथा विदेश संचार निगम लिमिटेड आई.एस.डी.एन. सुविधा उपलब्ध कराते हैं।

   लीज्ड लाइन :-किन्हीं दो स्थानों के बीच स्थायी टेलीफोन कनेक्शन को लीज्ड लाइन कहा जाता है। इसकी विशेषता है कि यह हमेशा सक्रिय रहती है। भारत में व्यवसायिक क्षेत्र में लीज्ड लाइन लेने का प्रचलन है।

   यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर (URL) :-यह इण्टरनेट पर किसी वेबसाइट/पेज/फाइल का यूनिक एड्रेस है। जैसे-https//www.google.com/images/urt.htm। इसमें https// प्रोटोकॉल है, www.google.com डोमेन नाम है; images डायरेक्टरी है।

   केबीपीएस, एमबीपीएस और जीबीपीएस :-ये इकाइयां डिजिटल माध्यम में संचार की गति दर्शाती हैं। इनका अर्थ क्रमशः किलो बिट्स प्रति सेकण्ड, मेगा बिट्स प्रति सेकण्ड और गीगा बिट्स प्रति सेकण्ड है। (किलो-एक हजार, मेगा-दस लाख और गीगा-एक अरब)

   ब्लॉग :- किसी भी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह के निजी वेब पेज को ब्लॉग कहा जाता है। इसका निर्माण आमतौर पर निजी विचार व्यक्त करने या अपनी रूचि के विषयों पर टिप्पणी करने के लिए किया जाता है।

   वेबसाइट :-जहाँ इण्टरनेट एक ऐसी किताब है जिसमें सम्पूर्ण संसार की सभी जानकारियां हैं, वहीं वेबसाइट (साइट) इसका एक अध्याय है। कम्प्यूटर पर किसी खास चीज की जानकारी हेतु उससे सम्बन्धित अध्याय या साइट पर जाना पड़ता है। किसी भी वेबसाइट पते के अंतिम तीन अक्षर बताते हैं कि साइट किस प्रकार का है, जैसे- अंतिम तीन अक्षर यदि edu है, तो यह किसी शैक्षिक संस्थान की साइट है और यदि यह com है तो यह कमर्शियल ऑर्गनाइजेशन की साइट है। यदि अंत में केवल दो अक्षर हैं तो ये किसी खास देश की वेबसाइट को दर्शाते हैं। जैसे भारत के लिए in, ब्रिटेन के लिए uk आदि।

   जेपीइजी (jpeg) :-यह एक इमेज फॉरमेट है जिसके माध्यम से तस्वीर के साइज को कम किया जा सकता है। तेज इमेज ट्रांसफर रेट की विशेषता के कारण इसका मुख्यतः इण्टरनेट पर प्रयोग किया जाता है।

इण्टरनेट पर प्राप्त होने वाली सुविधाएं :-

    इटरनेट पर उपलब्ध समस्त सुविधाओं का उपयोग कर हम इंटरनेट के माध्यम से बहुत कम ही समय में समूचे विश्व से जुड़ जाते हैं। यहाँ भौगोलिक दूरियाँ अस्तित्वहीन हो जाती हैं और दूनिया के एक कोने से दूसरे कोने तक सूचना पहुँचाना तुरंत सम्भव होता है।

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2.इंटरनेट चैट सर्विस

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