3 July 2023

विशेषण

By Sandeep Kumar Singh

         संज्ञा और सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्दों को विशेषण कहते हैं। विशेषण जिस संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं उसे ‘विशेष्य’ कहते हैं; जैसे-बहुत लोग, मोटा आदमी, कई लड़कियाँ में क्रमशः बहुत, मोटा, कई शब्द विशेषण तथा लोग, आदमी, लड़कियाँ शब्द विशेष्य हैं।

विशेषण के कार्य

      किसी वस्तु अथवा व्यक्ति की विशेषता बतलाना; जैसे-राम स्वस्थ है। काला घोड़ा दौड़ रहा है।

      हीनता बतलाना; जैसे-खूनी आदमी। चोर को मत बैठने दो। बीमार वृद्ध।

      अर्थ सीमित करना; जैसे-खेलते बच्चे। पढ़ते बच्चे। फसल काटते कृषक।

      संख्या का बोध कराना; जैसे-ग्यारह खिलाड़ी। दस मजदूर।

      मात्रा बतलाना; जैसे-पाँच किलो चावल। दो लीटर दूध। तीन मीटर कपड़ा।

विशेषण के भेद :- विशेषण के चार भेद माने जाते हैं-

1.      गुणवाचक विशेषण

2.      परिमाणवाचक विशेषण

3.      संख्यावाचक विशेषण

4.      सार्वनामिक विशेषण (संकेतवाचक)

1.      गुणवाचक विशेषण

जो विशेषण विशेष्य (संज्ञा या सर्वनाम) के गुण, दोष, रूप, रंग, आकार, काल, दशा, स्थिति आदि की विशेषता का बोध कराता है, वह गुणवाचक विशेषण कहलाता है।

जैसे-वह अच्छा लड़का है। (गुणवाचक)

         लंबा आदमी इस घर का मालिक है। (आकार-बोधक)

         तुमने मेरी नीली कमीज देखी है। (रंगसूचक)

         गीली कमीज को धूप में रख दो। (दशा-बोधक)

         आधुनिक युग कंप्यूटर का युग है। (काल-बोधक)

2.      परिमाणवाचक विशेषण

जो विशेषण विशेष्य की माप या तौल (परिमाणवाचक) का बोध कराए, उसे परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।

जैसे-पहाड़ों पर बहुत वर्षा होती है।

    मजदूर भारी बोझ से दबा जा रहा था।

         इस साल कम उपज हुई है।

         वहाँ थोड़े लोग थे।

परिमाणवाचक विशेषण दो प्रकार के होते हैं-

क.  निश्चित परिमाणवाचक विशेषण-चार सेर दूध, डलिया भर आम।

ख. अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण-थोड़ा दूध, इतना पानी, अधिक चीनी।

3.      संख्यावाचक विशेषण

जो विशेषण विशेष्य की संख्या या गणना का बोध कराए, वह संख्यावाचक विशेषण कहलाता है।

जैसे-उनको आने में अभी पंद्रह दिन शेष हैं।

         खेल प्रतियोगिता में मोहन तीसरे स्थान पर आया है।

         उसके पास आधे पैसे रह गए हैं।

         इस स्कूल में कई लड़कियों ने प्रतियागिमा जीती।

         सब बालकों ने उसका ध्यान रखा।

संख्यावाचक विशेषण दो प्रकार के होते हैं-

क.  निश्चित संख्यावाचक विशेषण-पंद्रह, तीसरा, आधा।

ख. अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण-कई, कुछ, सब, काफी, सैकड़ो, दस-बीस।

4.      सार्वनामिक विशेषण

जो सर्वनाम संज्ञा रूप के पहले आता है और विशेषण का कार्य करता है, उसे सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।

जैसे-वह छात्र कक्षा में प्रथम आया है।

         यह मकान बड़ा है।

         वहाँ कौन आदमी जा रहा है।

निश्चयवाचक सर्वनाम और सार्वनामिक विशेषण में अंतर :-

         निश्चयवाचक सर्वनाम किसी व्यक्ति, प्राणी, वस्तु, घटना आदि की निश्चितता का बोध कराता है; जबकि सार्वनामिक विशेषण से व्यक्ति, प्राणी, वस्तु आदि की विशेषता का बोध होता है। सार्वनामिक विशेषण संज्ञा के समीप होता है।

जैसे- यह मोहन की पुस्तक है। (निश्चयवाचक सर्वनाम)

         वह शीला का घर है। (निश्चयवाचक सर्वनाम)

         यह पुस्तक मोहन की है। (सार्वनामिक विशेषण)

         वह घर शीला का है। (सार्वनामिक विशेषण)

प्रविशेषण

         कुछ शब्द विशेषणों की भी विशेषता बताते हैं। ऐसे शब्दों को प्रविशेषण कहते हैं।

जैसे-आपने मुझ पर बहुत बड़ी कृपा की।

         मोहन बड़ा ईमानदार व्यक्ति है।

         कारखानों से अत्यंत विषैला पदार्थ निकलता है।

         मेरा भाई अत्यंत कुशल और अति सक्षम अधिकारी है।

         चन्द्रशेखर आजाद महान पराक्रमी क्रांतिकारी थे।

विशेषणों से सम्बंधित कुछ अन्य महत्वपूर्ण तथ्य :-

      विशेषण विशेष्य के बाद भी प्रयुक्त होते हैं, उन्हें विधेय विशेषण कहते हैं; जैसे-यह पानी ठंडा है। यह फूल लाल है। यह मकान ऊँचा है।

      विशेष्य से पहले आने वाले विशेषण को विशेष्य विशेषण कहते है; जैसे-काला घोड़ा दौड़ रहा है। मनीष चंचल लड़का है।

      आकारांत पुलि्ंलग विशेषण बहुवचन में एकारांत हो जाते हैं; जैसे-अच्छा-अच्छे, हरा-हरे, बड़ा-बड़े।

      विशेष्य के साथ परसर्ग लगने पर आकारांत विशेषण एकवचन में भी एकारांत हो जाता है; जैसे-अच्छे लड़के ने, ऊँचे मकान में।

      कुछ विशेषणों में लिंग और वचन के अनुसार परिवर्तन नहीं होता; जैसे-बढ़िया, उम्दा, ज्यादा, सुखी, सुंदर, उत्तम।

      ईकारांत स्त्रीलिंग विशेषण एकवचन तथा बहुवचन दोनों रूपों में और विशेष्य के साथ परसर्ग लगने पर भी ईकारांत ही रहते हैं; जैसे-काली-बकरी, काली बकरियों ने, अच्छी-लड़की, अच्छी लड़कियों ने।

      विशेष्य के बिना कुछ विशेषण संज्ञा की भाँति प्रयुक्त होते हैं; जैसे-उस मोटे को देखो। बड़ों का कहना मानना चाहिए। उस बेचारे ने कुछ नहीं किया।

      विशेषण कभी-कभी पुनरुक्त रूप में भी प्रयुक्त होते हैं। इस प्रकार के प्रयोग से अर्थ में अतिशयता आ जाती है।

जैसे- यहाँ हरे-हरे पेड़ दिखाई देते हैं।

         छोटे-छोटे लड़के कितने सुदर लग रहे हैं।

      दो या दो से अधिक विशेष्य के गुणों के गुणों की तुलना करने के लिए विशेषण से पहले ‘से’, ‘की तुलना में’ या ‘की अपेक्षा’ आदि का प्रयोग किया जाता है।

जैसे-मेरा विद्यालय उसके विद्यालय से अच्छा है।

         मेरा विद्यालय उसके विद्यालय की तुलना में अच्छा है।

      विशेषण का लिंग और वचन विशेष्य के लिंग और वचन के अनुसार प्रयुक्त होते हैं, चाहे विशेषण विशेष्य के पहले या बाद में प्रयुक्त हो।

जैसे-अच्छे छात्र पढ़ते है।

         नीतू भली लड़की है।

         बड़ा आदमी सुंदर स्वभाव का होता है।

      यदि एक ही विशेषण के अनेक विशेष्य हो तो विशेषण के लिंग और वचन समीप वाले विशेष्य के लिंग वचन के अनुसार होंगे।

जैसे-अच्छी कलम और कागज।

         नये पुरुष और नारियाँ।

         पीला कुर्ता और धोती।

संज्ञा से विशेषण बनाना

      संज्ञा शब्द में प्रत्यय लगाकर विशेषण बनाया जाता है।

संज्ञा                  प्रत्यय                 विशेषण

धर्म                   इक                   धार्मिक

मुख                  इक                   मौखिक

अर्थ                   इक                   आर्थिक

चमक                     ईला             चमकीला

गुण                   ई                    गुणी

धन                   वान्                   धनवान

जाति                  ईय                   जातीय

      दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से विशेषण बनते हैं-

भला+बुरा=भलाबुरा, छोटा+ बड़ा=छोटा-बड़ा, चलता+ फिरता=चलता-फिरता,

      क्रियाओं में प्रत्यय लगाकर बनने वाले विशेषण।

जैसे-पूज्+अनीय (प्रत्यय) =पूजनीय।

      अव्यय में प्रत्यय लगाकर बनने वाले विशेषण।

जैसे-अन्दर+ऊनी (प्रत्यय) =अन्दरूनी।

तुलनात्मक विशेषण

         दो या दो से अधिक व्यक्तियों या वस्तुओं की विशेषताओं के मिलान को तुलना कहते हैं। इस कार्य को दर्शाने वाले विशेषण को तुलनात्मक विशेषण कहते हैं।

इसकी तीन अवस्थाएं होती हैं-

1.      मूलावस्था-अधिक, उच्च।

2.      उत्तरावस्था-अधिकतर, उच्चतर।

3.      उत्तमावस्था-अधिकतम, उच्चतम।

आधार ग्रंथ-

  1. हिंदी व्याकरण-कामताप्रसाद गुरु
  2. हिंदी शब्द अर्थ प्रयोग-डॉ0 हरदेव बाहरी
  3. सामान्य हिंदी-डॉ0 पृथ्वीनाथ पाण्डेय

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