4 July 2023

कम्प्यूटर क्या है?

By Sandeep Kumar Singh

कम्प्यूटर अथवा संगणक एक ऐसा यंत्र है जिसका उपयोग गणना करने के लिए किया जाता था। लगभग एक सदी के गहन अनुसंधान के बाद कम्प्यूटर का आविष्कार एक ज्यादा सूक्षम कैलकुलेटर के तौर पर किया गया था, जिसकी स्मृति ज्यादा नहीं थी बल्कि यह कैलकुलेटर की तुलना में तीव्रता से गणना कर सकता था।

कम्प्यूटर का उद्गम 1642 ई0 में 18 वर्षीय ब्लेज पास्कल द्वारा हुआ, जबकि 1833 ई0 में ब्रिटेन के गणितज्ञ चार्ल्स वेबेज ने एक मशीन का आविष्कार किया जिसको ‘ऐनेलिटिक इंजन’ का नाम दिया गया। वर्ष 1937 में ‘मार्क-1’ नामक प्रथम कम्प्यूटर का निर्माण किया जा सका, जो आंकड़ों को संजोकर रखने के साथ-साथ उन्हें काट-छांट और संयोजित भी कर सकता था। डॉ. वॉन न्यूमैन ने कम्प्यूटर के कार्य हेतु द्विआयामी पद्धति (Binary System) का प्रयोग किया और संचयित प्रोग्राम का उपयोग किया।

कम्प्यूटर के प्रकार-

आकार के परिमाण के आधार पर कम्प्यूटर चार प्रकार के होते हैं-

1.माइक्रो कम्प्यूटर

2.मिनी कम्प्यूटर

3.मेनफ्रेम कम्प्यूटर

4.सुपर कम्प्यूटर

         वर्तमान में प्रयुक्त होने वाला कम्प्यूटर चौथे चरण का है, जबकि वैज्ञानिक पाँचवीं पीढ़ी के कम्प्यूटर के विकास में प्रयासरत हैं। कम्प्यूटर की पहली, दूसरी, तीसरी और चौथी पीढ़ी क्रमशः 1944, 1956, 1965 और 1971 में अस्तित्व में आई।

भारत में कम्प्यूटर का विकास :-

         भारत में कम्प्यूटर का विकास 1955 से आरम्भ हुआ। प्रारम्भिक वर्षों में कम्प्यूटर्स का उपयोग मुख्य रूप से वैज्ञानिक गणनाओं के लिए किया जाता था। किन्तु 1980 के दशक तक वेतन बनाने और आवश्यक प्रबंध जैसी गतिविधियों के अतिरिक्त कम्प्यूटर्स का उपयोग संचालन क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाने लगा। वर्ष 1990 के दशक के अंत तक सूचना प्रौद्योगिकी संस्कृति महानगरों से बाहर जिला स्तर तक प्रसारित हो गई। भारतीय हार्डवेयर विनिर्माताओं ने बढ़ती मांग की चुनौती का सामना किया और ऐसे निजी कम्प्यूटर्स का उत्पादन स्थानीय स्तर पर किया, जो अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।

निजी कम्प्यूटर एक प्रकार का माइक्रो कम्प्यूटर है जिसमें एक माइक्रोप्रोसेसर का उपयोग किय जाता है तथा इसका उपयोग एक समय में एक व्यक्ति द्वारा ही किया जा सकता है। भारत का पहला कम्प्यूटेरियम कर्नाटक के बंगलौर में स्थापित किया गया है। इसमें बच्चे पारस्परिक गजेट्री एवं परोक्ष वास्तविक अनुभवों के माध्यम से सूचना प्रौद्योगिकी युग के चमत्कारों से अवगत हो सकेंगे। भारत सरकार ने आम आदमी के लिए कम लागत का मोबाइल डेस्क टॉप कम्प्यूटर जारी किया है।

कम्प्यूटर के भाग

         कम्प्यूटर के प्रमुख दो भाग हैं-

1.हार्डवेयर

2.सॉफ्टवेयर

1.हार्डवेयर :-कम्प्यूटर के वे सभी भाग जिनका स्पर्श किया जा सकता है, हार्डवेयर कहलाते हैं। कार्य प्रणाली के आधार पर इसे निम्न चार इकाइयों में विभाजित किया गया है।

1.इनपुट इकाई

2.प्रोसेसिंग इकाई

3.आउटपुट इकाई

4.संग्रह इकाई

1.इनपुट इकाई

         इस इकाई का उपयोग आंकड़ों, तथ्यों व निर्देशों को कम्प्यूटर यूनिट के अन्दर संप्रेषित करने के लिए किया जाता है। मुख्य रूप से उपयोग होने वाली इनपुट इकाइयां हैं-कीबोर्ड तथा माउस। कीबोर्ड एक इलेक्ट्रोमेक्निकल इकाई है। इसका मेक्निकल भाग टाइपराइटर के समान होता है, जिसके द्वारा इलेक्ट्रिक सिग्नल के माध्यम से अक्षर, संख्याएं व निर्देश कम्प्यूटर की प्रोसेसिंग इकाई को संपेषित कर सकते हैं। माउस प्वाइटिंग पद्धति की निर्देशांक प्रणाली पर आधारित है। यह ग्राफिकल यूजर इन्टरफेस प्रणाली में निर्देशों को चित्र के माध्यम से सम्प्रेषित करने के लिए उपयोग में आता है।

साभार गूगल से लिया गया

2.प्रोसेसिंग इकाई

         कम्प्यूटर को संप्रेषित किए गये निर्देशों को सुचारू रूप से क्रियान्वित करने का कार्य प्रोसेसिंग इकाई का होता है। इसका मुख्य भाग है-सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU) सी.पी.यू. कम्प्यूटर का सबसे प्रमुख भाग है जो कि निर्देशों का उपयोग कर पूरी कम्प्यूटर प्रणाली को संचालित करता है। यह कम्प्यूटर का हृदय कहलाता है तथा इससे अन्य सभी पेरीफेरल्स (अन्य कम्प्यूटर उपकरण) जैसे-कीबोर्ड, माउस, मॉनीटर, प्रिंटर आदि सभी मदरबोर्ड के माध्यम से जुड़े रहते हैं। सी.पी.यू. प्रमुखतः निम्नलिखित तीन भागों में विभक्त होता है-कंट्रोल यूनिट (CU), अर्थमेटिक लॉजिक यूनिट (ALU) और मेमोरी।

कंट्रोल यूनिट (CU)-निर्देशों का सही उपयोग व उनको कंट्रोल करने का कार्यं।

अर्थमेटिक लॉजिक यूनिट (ALU)-सभी प्रकार के अंकीय व तार्किक निर्देशों को क्रियान्वित करने का कार्य।

मेमोरी-निर्देशों को कुछ समय के लिए संगृहीत करने का कार्य।

3.आउटपुट इकाई

    इनपुट इकाई से प्रेषित तथ्य व निर्देश प्रोसेसिंग इकाई से क्रियान्वित होने के लिए जिस भाग के पास जाते है उसे आउटपुट इकाई कहते हैं। यह मुख्यतः दो भागों में विभाजित है-सॉफ्ट कॉपी और हार्ड कॉपी। सॉफ्ट कॉपी के लिए मॉनीटर का उपयोग करते हैं तथा हार्ड कॉपी के लिए प्रिंटर का।

मॉनीटर :-मॉनीटर घरों में उपयोग होने वाले टी.वी. के समान अधिकांशतः कैथोड रे ट्यूब प्रणाली पर आधारित होता है। लैपटॉप जैस वे कम्प्यूटिंग डिवाइस के मॉनीटर में लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले (LCD) या गैस प्लाज्मा का प्रयोग होता है। मॉनीटर का उपयोग सूचनाओं को कम्प्यूटर उपयोगकर्ता के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए किया जाता है। मॉनीटर को स्क्रीन साइज और रिजोल्यूशन के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है। रिजाल्यूशन का अर्थ है स्क्रीन पर मौजूद कलर डॉट्स जिन्हें पिक्सेल भी कहा जाता है। स्क्रीन पर उपस्थित पिक्सेल के बीच स्पेस को डॉट पिच कहा जाता है। डॉट पिच जितना कम हो उतना ही अच्छा रहता है।

प्रिंटर :-इसका उपयोग कई प्रकार की कार्य प्रणाली पर आधारित आंकड़ों, संख्याओं, चित्रों ग्राफों या अन्य प्रकार की सूचनाओं को कागज पर टंकित करने के लिए किया जाता है।

साभार गूगल से लिया गया

4.संग्रह इकाई (मेमोरी)

         सूचनाओं को बाद में प्रयोग में लाने हेतु कम्प्यूटर में संग्रह इकाई का उपयोग किया जाता है। यह मुख्यतः दो प्रकार की होती है-1.प्राइमरी मेमोरी, 2.सेकेण्डरी मेमोरी या ऑक्जेलरी मेमोरी।

प्राइमरी मेमोरी के अंतर्गत रैम (RAM) व रोम (ROM) आते हैं। प्राइमरी मेमोरी का उपयोग प्रोसेसिंग इकाई द्वारा कार्य करते समय निर्देशों को संगृहीत करने के लिए रैम तथा कम्प्यूटर प्रणाली को चलाने के लिए निर्देशों को संगृहीत करने हेतु रोम का उपयोग किया जाता है।

रैम (RAM) :-रैंडम एक्सेस मेमोरी या रैम कम्प्यूटर मुख्य मेमोरी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। कम्प्यूटर में संप्रेषित सभी डाटा सीधे रैम में ही जमा होते हैं। रैम से ही आवश्यकतानुसार अन्य जगह भेजे जाते हैं। जब कम्प्यूटर पर कोई प्रोग्राम रन करता है तो उस समय प्रोग्राम के निर्देशों और डाटा को रैम में सुरक्षित रखा जाता है जिससे सी.पी.यू. अपना कार्य तीव्र गति से कर सके। यह अस्थायी मेमोरी होती है क्योंकि जब पी.सी. को ऑफ किया जाता है तो रैम में मौजूद सभी डाटा समाप्त हो जाते है।

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रोम (ROM) :-रोम अर्थात् रीड ओनली मेमोरी एक स्थायी स्मृति है जो कम्प्यूटर के निर्माण के समय ही स्थापित कर दी जाती है। कम्प्यूटर ऑन करने पर सी.पी.यू. को यह बताते हैं कि उसे क्या करना है। यहाँ कम्प्यूटर के बंद हो जाने पर भी इसमे डाटा सुरक्षित रहता है। इस प्रकार की स्मृति का प्रयोग उस समय किया जाता है, जब कम्प्यूटर को किसी कार्य विशेष को बार-बार दोहराना होता है जैसे कपड़े धोने की मशीन आदि।    सेकेंडरी मेमोरी सूचना को स्थायी रूप से संग्रह करने के काम आती है। विभिन्न प्रकार की संग्रह पद्धतियों पर आधारित यह मुख्य रूप से निम्नलिखित हैं-हार्ड डिस्क, फ्लापी डिस्क, तथा सी.डी. (Compact disc) व डी.वी.डी. (Digital Versatile Disc) व रोम।

हार्ड डिस्क :-इसमे ठोस चुम्बकीय प्रणाली पर आधारित प्लेटों में कम्प्यूटर सिस्टम की सभी सूचनाएं सुरक्षित रहती है। सामान्यतः इसकी क्षमत 20 जी.बी. से 80 जी.बी. तक होती है।

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फ्लॉपी डिस्क :-कम मात्रा में सूचनाओं को संगृहीत कर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए फ्लॉपी डिस्क का उपयोग किया जाता है। यह मैग्नेटिक ऑक्साइड से बना होता है जिस पर प्लास्टिक चढ़ा होता है। यह ठोस चुम्बकीय प्रणाली पर आधारित होता है तथा इसकी क्षमता 360KB से 144MB तक होती है।

सी.डी. व डी.वी.डी. रोम :-प्रकाशकीय संग्रह तकनीक पर आधारित यह माध्यम अत्यधिक मात्रा में सूचनाओं को संग्रह करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। सी.डी. की क्षमता 650 MB से 850 MB तक तथा डी.वी.डी. की 4.5 GB से 20 GB तक होती है। इसका उपयोग संगीत वीडियो व अन्य प्रकार के अत्यधिक मात्रा वली सूचनाओं को संग्रह करने में किया जाता है।

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पोर्टेबल डॉक्यूमेंट फॉरमेट (PDF) :-एडोब द्वारा तैयार किया गया यह यूनिवर्सल फाइल फॉरमेट है जिसमें किसी भी प्रकार के फॉन्ट, फॉरमेट और ग्राफिक्स को रखा जा सकता है। पीडीएफ़ सामग्री को एक डिवाइस से दूसरी डिवाइस में भेजने पर कोई परिवर्तन नहीं होता।

सॉफ्टवेयर :

    कम्प्यूटर को संचालित करने तथा उसकी विभिन्न इकाइयों में समन्वय स्थापित करने वाली प्रणाली सॉफ्टवेयर के अन्तर्गत आती है। वस्तुतः हार्डवेयर को उपयोग में लाने वाले दिशा-निर्देशों के समुच्चय सॉफ्टवेयर हैं। कार्य प्रणाली के आधार पर इन्हें मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया गया है-

1.सिस्टम सॉफ्टवेयर

2.एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर

    यह सॉफ्टवेयर जो कि कम्प्यूटर के आंतरिक कियान्वयन को प्रभावित करता है, उसे सिस्टम सॉफ्टवेयर कहते हैं। इसका सबसे प्रमुख उदाहरण आपरेटिंग सिस्टम है जो कम्प्यूटर के क्रियान्वयन तथा सभी उपकरणों के समन्वय व उनको सुचारू रूप से चलाने के लिए बनाया गया है। प्रमुख ऑपरेटिंग सिस्टम हैं-एम.एस. डॉस (MS-Dos), एम.एस. विण्डोज (MS-Windows), लाइनेक्स (LINUX),यूनिक्स (UNIX)।

    वह सॉफ्टवेयर जिनका उपयोग उपयोगकर्ता अपने दैनिक कार्यों को करने के लिए करता है, उन्हें एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर कहते हैं। उदाहरण स्वरूप एम.एस. वर्ड पत्र लिखने के लिए, पेजमेकर व कोरल प्रकाशन व अन्य कार्यों के लिए।

साभार गूगल से लिया गया

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