13 June 2023

वर्णमाला

      आधुनिक भाषा-विज्ञान में भाषा को ऐसी बौद्धिक क्षमता के रूप में परिभाषित किया जाता है जो ध्वनि-प्रतीकों के माध्यम से अभिव्यक्त होती है। भाषा के इन्हीं पारंपरिक ध्वनि-प्रतीकों को वर्ण कहते हैं।       हिंदी भाषा में ‘वर्ण’ शब्द का प्रयोग भाषा की ध्वनियों और उन ध्वनियों को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त लिपि-चिह्नों दोनों के लिए होता है।       वर्ण भाषा के उच्चरित और […]

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9 June 2023

भाषा

भाषा भाषा शब्द का निर्माण संस्कृत की ‘भाष्’ धातु से हुआ है। इस धातु का अर्थ है-वाणी की अभिव्यक्ति।‘भाष् व्यक्तायां वाचि’ अर्थात् मनुष्य की व्यक्त वाणी ही भाषा है। भाषा के माध्यम से मनुष्य के भाव तथा विचार व्यक्त होते हैं। भाषा सामाजिक मनुष्यों के बीच भावों तथा विचारों के पारस्परिक आदान-प्रदान का एक सार्थक माध्यम है।डॉ0 श्यामसुंदरदास भाषा के सम्बन्ध में लिखते हैं-‘‘मनुष्य और […]

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4 June 2023

अलंकार

‘अलंकार’  शब्द ‘अलम्’ शब्द के साथ ‘कृ’ ( करना ) धातु से बना है। अलम् शब्द के तीन अर्थ हैं। 1. सजाना 2. रोकना 3. पर्याप्त होने का भाव अर्थात् जिससे काव्य में सौन्दर्य उत्पन्न होता है, वह अलंकार है। वह सौन्दर्य इस प्रकार का हो कि कहना पड़े कि बस, बस! इससे अधिक क्या कहा जा सकता है। अलंकार से साहित्य में सम्पूर्णता आती […]

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15 June 2015

हिन्दी साहित्य का इतिहास- चार युग- आदिकाल, भक्तिकाल, रीतिकाल, आधुनिक काल | History of Hindi Literature

साहित्य के मूल में परिवर्तित सामूहिक चित्तवृत्तियों को आधार बनाकर साहित्य की परंपरा का व्यवस्थित अनुशीलन ही साहित्य का इतिहास कहलाता है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार, “प्रत्येक देश का साहित्य वहाँ की जनता की चित्तवृत्ति का संक्षिप्त प्रतिबिंब होता है।” जनवरी 1929 में आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने ‘हिंदी साहित्य का इतिहास’ ग्रंथ लिखा। हिंदी का यह पहला ग्रंथ है। हिंदी साहित्य के इतिहास को चार भागों […]