2 July 2023

कारक

वाक्य में क्रिया तथा संज्ञा या सर्वनाम के बीच पाए जाने वाले संबंधों को कारक कहते हैं। जैसे-राम ने रावण को बाण से मारा।          उपर्युक्त वाक्य में ‘राम’, ‘रावण’, ‘बाण’ संज्ञा पदों का संबंध मारा क्रिया से सूचित होता हो रहा है। अर्थात् कारक एक ऐसी व्याकरणिक कोटि है जिससे यह पता चलता है कि संज्ञा पद वाक्य में स्थित क्रिया के साथ किस […]

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2 July 2023

वचन

         संज्ञा तथा अन्य विकारी शब्दों के जिस रूप से एक या अनेक होने का बोध होता है, उसे वचन कहते हैं। हिन्दी में दो वचन होते हैं- 1.      एकवचन (जो संज्ञा पद एक का बोध कराएं) 2.      बहुवचन (जो संज्ञा पद एक से अधिक का बोध कराएं) वचन सम्बंधी महत्वपूर्ण नियम–       गणनीय संज्ञा पदों के बहुवचन रूप होते हैं। जैसे-लड़का-लड़के, वस्तु-वस्तुएं।       अगणनीय […]

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2 July 2023

लिंग

लिंग का अर्थ है-चिह्न। लिंग संस्कृत भाषा का शब्द है। संज्ञा के जिस रूप से किसी वस्तु की जाति (पुरुष अथवा स्त्री) का बोध होता है, उसे लिंग कहते हैं। हिन्दी में दो लिंग होते हैं- 1.      पुल्लिंग (पुरुष जाति का बोध कराने वाले) 2.      स्त्रीलिंग (स्त्री जाति का बोध कराने वाले)       प्राणीवाचक संज्ञा शब्दों में लिंग की पहचान उनके नर या मादा होने […]

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1 July 2023

पारिभाषिक शब्दावली निर्माण के सिद्धांत :

पारिभाषिक शब्दावली निर्माण के लिए वैज्ञानिक एवं तकनीक शब्दावली आयोग, द्वारा कुछ सिद्धांत निर्धारित किए गए, जो निम्न प्रकार से हैं- 1. अंतर्राष्ट्रीय शब्दों को यथासंभव उनके प्रचलित अंग्रेजी रूपों में अपनाना चाहिए और हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं की प्रकृति के अनुसार उनका लिप्यंतरण करना चाहिए; जैसे- क. तत्वों और यौगिकों के नाम; जैसे-कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बनडाई ऑक्साइड। ख. तौल और माप की […]

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1 July 2023

पारिभाषिक शब्दावली

प्रस्तुत लेख में हम पारिभाषिक शब्दावली का अर्थ और उसकी परिभाषा के बारे में जानेंगे। भाषा शब्द का निर्माण संस्कृत की ‘भाष्’ धातु से हुआ है, जिसका अर्थ है-वाणी की अभिव्यक्ति।     ‘भाष् व्यक्तायां वाचि’ अर्थात् मनुष्य की व्यक्त वाणी ही भाषा है। भाषा के माध्यम से मनुष्य के भाव तथा विचार व्यक्त होते हैं। भाषा सामाजिक मनुष्यों के बीच भावों तथा विचारों के पारस्परिक […]

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1 July 2023

शब्द और उसके भेद

शब्द          किसी भी भाषा की शक्ति उसके शब्द योजना और उसके शब्द भण्डार पर निर्भर होती है। नए भाव, विचार, अनुभव और मूल्यों को संप्रेषित करने के लिए नए-नए शब्दों की आवश्यकता पड़ती है। भाषा की नवनिर्मित शब्दावली उसे समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। किसी व्यक्ति के विचार, जीवन-दृष्टि तथा उसके अनुभूति के स्तर की जानकारी उसकी अभिव्यक्ति में प्रयुक्त शब्दावली से […]

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