प्रेमचंद जयंती 2025

देवनागरी महाविद्यालय गुलावठी, बुलंदशहर में हिंदी विभाग द्वारा हिंदी साहित्य के महान साहित्यकार प्रेमचंद की जयंती के शुभ अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. विनीता ने की। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य आज भी प्रासंगिक है। यह हमें जीवन जीने का नया मार्ग उपलब्ध कराता है।
पीयूष त्रिपाठी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रेमचन्द स्वयं में एक युग हैं। प्रेमचंद साहित्य जीवंतता का प्रदर्शक है। प्रेमचन्द मानव के स्थान पर मानवीय संवेदना को वरीयता देते है। समाज के पिछडे, दमित समाज के साथ पशुओं की संवेदना को भी प्रकट किया है। उन्होंने दो बैलों की कथा, पूस की रात, मंत्र, कफन, बूढ़ी काकी आदि कहानियों के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। डॉ. महेंद्र कुमार ने कहा कि प्रेमचंद के साहित्य में समाज की तत्कालीन परिस्थितियों, समस्याओं का सजीव चित्रण किया गया है। उनका साहित्य समानता को महत्व देता है। विश्व साहित्य में प्रेमचन्द का स्थान अविस्मरणीय है। डॉ. पुष्पेंद्र कुमार मिश्र ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य हमारे लिए धरोहर है।
हिंदी विभाग के सहायक आचार्य डॉ. हरीश कुमार कसाना ने सभी प्राध्यापकों एवं छात्र-छात्राओं का आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम का संचालन संदीप कुमार सिंह ने किया। इस अवसर पर अतुल तोमर, डॉ. अवधेश कुमार सिंह, हरिदत्त शर्मा, भवनीत सिंह बत्रा, डॉ. विनय कुमार सिंह, नवीन तोमर, कृष्ण कुमार, शशि कपूर, श्याम प्रकाश और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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